सितंबर28, 2011 पेंटिंग नं. 6 काना में विवाहकाना में शादी हमारे प्रभु यीशु मसीह के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. कई लोगों को आमंत्रित किया गया. यह एक सामाजिक घटना थी. जो कई दिनों तक चलती थी. यह जानना महत्वपूर्ण है कि मेजबान के लिए यह एक सार्वजनिक अपमान होता है जब भोजन या शराब खत्म हो जाता है.
यीशू निश्चित नहीं थे कि उनका समय आ चुका है। दूसरी तरफ उनकी माँ, मरियम, निश्चित थी। वह जानती थी कि वह तैयार था, अन्यथा उन्होंने उससे यह नहीं कहा होता, उनके पास अब और शराब नहीं है, जो कि एक प्रेरणा थी एक चमत्कार करने के लिए। जब यीशू ने उत्तर दिया, महिला, मुझे क्यों शामिल करती हो? मेरा समय अभी नहीं आया है, इस बात का सबूत है कि वे आश्वस्त नहीं थे। उनका उत्तर न तो अशिष्ट था और न असम्मानजनक। जब उन्होंने अपनी माँ को महिला कह कर पुकारा तो वे उनके लिए एक आदर की उपाधि का उपयोग कर रहे थे, जो कि उस समय आप तौर पर प्रयोग की जाती थी। मरियम आश्वस्त नहीं थी जब यीशू ने उत्तर दिया कि मेरा समय अभी नहीं आया है। इसी कारण उन्होंने नौकरों को निर्देश दिया कि जो वह कहता है वही करो। इस क्षण यीशू अपने नए शिष्यों (पीटर, आंद्रे, योहन, जेम्स और फिलिप) जो उनकी सेवा में थे। यदि चमत्कार प्रकट होने में विफल रहा तो, उनके निराश होने की संभावना के कारण झिझक सकते थे। लेकिन बिना किसी झिझक के यीशू ने नौकरों से कहा, जारों को पानी से भर दो, और चमत्कार हो गया जिस क्षण उन्होंने कहा, अब इसमें से थोड़ा सा बाहर निकालो और इसे दावत के स्वामी के पास ले जाओ।
|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Copyright 2024 Pierre Bittar: French Impressionist Artist |